मिल्कियत सारी ये तेरी नज़र करता हूँ ,
तेरे शहर से कहीं दूर अब मैं घर करता हूँ .....
जो उजालों के साथी थे कुछ दूर तलक आये ,
किसे मालूम अंधेरों में मैं कैसे सफ़र करता हूँ ....
तिनका तिनका बिखरा हूँ इन राहों पर,
पा जाऊं खुद को तो तुझको ख़बर करता हूँ ...
ज़िन्दगी धूप बन कर न आए तुझ पर ,
हर दुआ अपनी तेरे हिस्से में शजर करता हूँ ....